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hanuman ji ke bhajan lyrics in hindi
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hanuman ji ke bhajan lyrics in hindi
1.श्री हनुमान भजन लिरिक्स – बाल समय रवि भक्ष लियो
बाल समय रवि भक्ष लियो तब,
तीनहुं लोक भयो अंधियारों ।
ताहि सों त्रास भयो जग को,
यह संकट काहु सों जात न टारो ।
देवन आनि करी बिनती तब,
छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो !!
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,
जात महाप्रभु पंथ निहारो ।
चौंकि महामुनि साप दियो तब,
चाहिए कौन बिचार बिचारो ।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु।
सो तुम दास के सोक निवारो ॥
अंगद के संग लेन गए सिय,
खोज कपीस यह बैन उचारो ।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु,
बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो ।
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब,
लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥
रावण त्रास दई सिय को सब,
राक्षसी सों कही सोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु,
जाए महा रजनीचर मरो ।
चाहत सीय असोक सों आगि सु,
दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥
बान लाग्यो उर लछिमन के तब,
प्राण तजे सूत रावन मारो ।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत,
तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ।
आनि सजीवन हाथ दिए तब,
लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥
रावन जुध अजान कियो तब,
नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,
मोह भयो यह संकट भारो ।
आनि खगेस तबै हनुमान जु,
बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥
बंधू समेत जबै अहिरावन,
लै रघुनाथ पताल सिधारो ।
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि,
देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो ।
जाये सहाए भयो तब ही,
अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥
काज किये बड़ देवन के तुम,
बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को,
जो तुमसे नहिं जात है टारो ।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,
जो कछु संकट होए हमारो ॥
॥ दोहा ॥
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर ।
वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ॥

2. हनुमान भजन लिरिक्स – आज मंगलवार है महावीर का वार है
आज मंगलवार है,
महावीर का वार है,
ये सच्चा दरबार है,
सच्चे मन से जो कोई ध्यावे,
उसका बेड़ा पार है।।
चैत्र सुदी पूनम मंगल का,
जनम वीर ने पाया है,
लाल लंगोट गदा हाथ में,
सर पर मुकुट सजाया है,
शंकर का अवतार है,
महावीर का वार है,
सच्चे मन से जो कोई ध्यावे,
उसका बेड़ा पार है।।
ब्रह्मा जी के ब्रम्ह ज्ञान का,
बल भी तुमने पाया है,
राम काज शिव शंकर ने,
वानर का रूप धारिया है,
लीला अपरमपार है,
महावीर का वार है,
सच्चे मन से जो कोई ध्यावे,
उसका बेड़ा पार है।।
बालापन में महावीर ने,
हरदम ध्यान लगाया है,
श्रम दिया ऋषिओं ने तुमको,
ब्रम्ह ध्यान लगाया है,
राम रामाधार है,
महावीर का वार है,
सच्चे मन से जो कोई ध्यावे,
उसका बेड़ा पार है।।
राम जनम हुआ अयोध्या में,
कैसा नाच नचाया है,
कहा राम ने लक्ष्मण से ये,
वानर मन को भाया है,
राम चरण से प्यार है,
महावीर का वार है,
सच्चे मन से जो कोई ध्यावे,
उसका बेड़ा पार है।।
पंचवटी से माता को जब,
रावण लेकर आया है,
लंका में जाकर तुमने,
माता का पता लगाया है,
अक्छाय को मार है,
महावीर का वार है,
सच्चे मन से जो कोई ध्यावे,
उसका बेड़ा पार है।।
मेघनाथ ने ब्रह्पाश में,
तुमको आन फसाया है,
ब्रह्पाश में फस कर के,
ब्रम्हा का मान बढ़ाया है,
बजरंगी वाकी मार है,
महावीर का वार है,
सच्चे मन से जो कोई ध्यावे,
उसका बेड़ा पार है।।
लंका जलायी आपने,
जब रावण भी घबराया है,
श्री राम लखन को आनकर,
माँ का सन्देश सुनाया है,
सीता शोक अपार है,
महावीर का वार है,
सच्चे मन से जो कोई ध्यावे,
उसका बेड़ा पार है।।
आज मंगलवार है,
महावीर का वार है,
ये सच्चा दरबार है,
सच्चे मन से जो कोई ध्यावे,
उसका बेड़ा पार है।।

3. श्री हनुमान भजन – हे दुख भंजन मारुति नंदन
हे दुख भंजन मारुति नंदन
सुन लो मेरी पुकार पवंसुत विनती बारंबार
पवंसुत विनती बारंबार
हे दुख भंजन मारुति नंदन
सुन लो मेरी पुकार पवंसुत विनती बारंबार
पवंसुत विनती बारंबार
अस्त सिद्धि ना निधि के दाता
अस्त सिद्धि ना निधि के दाता
दुखियों के तुम भाग्या विधाता
दुखियों के तुम भाग्या विधाता
सिया राम के काज सवरें मेरा कर उद्धार
पवंसुत विनती बारंबार
पवंसुत विनती बारंबार
हे दुख भंजन मारुति नंदन
सुन लो मेरी पुकार पवंसुत विनती बारंबार
पवंसुत विनती बारंबार
अपरंपार है शक्ति तुम्हारी
अपरंपार है शक्ति तुम्हारी
तुम पर रीझे अवध बिहारी
तुम पर रीझे अवध बिहारी
भक्ति भाव से ध्याऊ तोहे
भक्ति भाव से ध्याऊ तोहे
कर दुखहो से पर पवंसुत विनती बारंबार
पवंसुत विनती बारंबार
हे दुख भंजन मारुति नंदन
सुन लो मेरी पुकार पवंसुत विनती बारंबार
पवंसुत विनती बारंबार
जापू निरंतर नाम तिहारा
जापू निरंतर नाम तिहारा
अब नही छोड़ूं तेरा द्वार
अब नही छोड़ूं तेरा द्वार
राम भक्त मोहे शरण मे लीजे
भाव सागर से तार
पवंसुत विनती बारंबार
पवंसुत विनती बारंबार

4. श्री हनुमान जी के भजन – पार न लगोगे श्री राम के बिना
पार ना लगोगे श्री राम के बिना,
राम ना मिलेंगे हनुमान के बिना,
राम ना मिलेंगे हनुमान के बिना,
श्री राम ना मिलेंगे हनुमान के बिना।
वेदों ने पुराणों ने कह डाला,
राम जी का साथी बजरंग बाला,
जीये हनुमान नहीं राम के बिना,
राम भी रहे ना हनुमान के बिना।
जग के जो पालन हारे हैं,
उन्हें हनुमान बड़े प्यारे हैं,
कर लो सिफ़ारिश दाम के बिना,
रास्ता ना मिलेगा हनुमान के बिना।
जिनका भरोसा वीर हनुमान,
उनका बिगड़ता नहीं कोई काम,
लक्खा कहे सुनों हनुमान के बिना,
कुछ ना मिलेगा गुणगान के बिना।

5. श्री हनुमान जी के भजन – हनुमान तुम्हारा क्या कहना
कलयुग मे सिद्ध हो देव तुम्ही, हनुमान तुम्हारा क्या कहना
कलयुग मे सिद्ध हो देव तुम्ही, हनुमान तुम्हारा क्या कहना ।
तेरी शक्ति का क्या कहना, तेरी भक्ति का क्या कहन..
सीता की खोज करी तुमने, तुम सात समुन्दर पार गये।
लंका को -किया शमशान प्रभु, बलवान तुम्हारा क्या कहना।
तेरी शक्ति का क्या कहना, तेरी भक्ति का क्या कहना..
जब लखन लाल को शक्ति लगी तुम घोलगिर पर्वत लाये,
लक्ष्मण के बचाये आ कर के तब प्राण तुम्हारा क्या कहना।
तेरी शक्ति का क्या कहना, तेरी भक्ति का क्या कहना..
तुम भक्त शिरोमनी हो जग मे तुम वीर शिरोमनी हो जग मे,
तेरे रोम रोम मे बसते हैं सिया राम तुम्हारा क्या कहना..

6. श्री हनुमान चालीसा
दोहा
श्री गुरुचरण सरोज रज , निज मन मुकुरु सुधारि ।
बरनऊॅ रघुबर विमल जसु , जो दायक फल चारि ।।1
बुद्धिहीन तनु जानि के , सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि विद्या देहु मोहिं , हरहु कलेस बिकार ।।2
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीश तिहुॅ लोक उजागर ।।1
राम-दुत अतुलित बलधामा ।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ।।2
महाबीर विक्रम बजरंगी ।
कुमति निवार सुमति के संगी ।।3
कंचन बरण बिराज सुबेसा ।
कानन कुण्डल कुंचित केसा ।।4
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै ।
कॉधे मूॅज जनेऊ साजै ।।5
शंकर-सुवन केशरी-नंदन ।
तेज प्रताप महा जग-वंदन ।।6
विद्यावान गुनी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ।।7
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम लखन सीता मन बसिया ।।8
सुक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
बिकट रूप धरि लंक जरावा ।।9
भीम रूप धरि असुर संहारे ।
रामचंद्र के काज संवारे ।।10
लाय सजीवन लखन जियाये ।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये ।।11
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।।12
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं ।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ।।13
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
नारद सारद सहित अहीसा ।।14
जम कुबेर दिगपाल जहां ते ।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते ।।15
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा ।
राम मिलाय राज पद दीन्हा ।।16
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना ।
लंकेस्वर भए सब जग जाना ।।17
जुग सहस्र योजन पर भानू ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।।18
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं ।।19
दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।।20
राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।।21
सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।
तुम रक्षक काहू को डर ना ।।22
आपन तेज सम्हारो आपै ।
तीनों लोक हांक तें कांपै ।।23
भूत पिसाच निकट नहिं आवै ।
महाबीर जब नाम सुनावै ।।24
नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ।।25
संकट तें हनुमान छुड़ावै ।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ।।26
सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिन के काज सकल तुम साजा ।।27
और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोइ अमित जीवन फल पावै ।।28
चारों जुग परताप तुम्हारा ।
है परसिद्ध जगत उजियारा ।।29
साधु-संत के तुम रखवारे ।
असुर निकंदन राम दुलारे ।।30
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।
अस बर दीन जानकी माता ।।31
राम रसायन तुम्हरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ।।32
तुम्हरे भजन राम को पावै ।
जनम जनम के दुख बिसरावै।।33
अंतकाल रघुबर पुर जाई ।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई ।।34
और देवता चित्त न धरई ।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ।।35
संकट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ।।36
जै जै जै हनुमान गोसाईं ।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ।।37
जो सत बार पाठ कर कोई ।
छुटहि बंदि महा सुख होई ।।38
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ।।39
तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा ।।40
दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ।।
7. श्री हनुमान जी के भजन – मंगल मूर्ति राम दुलारे
मंगल मूर्ति राम दुलारे
आन पड़ा अब तेरे द्वारे
हे बजरंगबली हनुमान
हे महावीर करो कल्याण
मंगल मूर्ति राम दुलारे
तीनो लोग तेरा उजियारा
दुखीयो का तूने काज संवारा
हे जग वंदन केसरी नंदन
कष्ट हरो हे कृपा निधान
हे महावीर करो कल्याण
तेरे द्वारे जो भी आया
खाली नहीं कोई लौट आया
दुर्गम काज बनावल हारी
मंगलमय दीजो वरदान
हे महावीर करो कल्याण
तेरा सुमिरन हनुमत वीरा
नासे रोग हरे सब पीरा
राम लखन सीता मन बसिया
चरण पड़े का कीजे ध्यान
हे महावीर करो कल्याण
भक्ति की ज्योत जगा दो मन में
राम कृपा बरसे मेरे मन में
बल बुद्धि विद्या के दाता
हर लीजे मन का अज्ञान
हे महावीर करो कल्याण
मंगल मूर्ति राम दुलारे
आन पड़ा अब तेरे द्वारे
हे बजरंगबली हनुमान
हे महावीर करो कल्याण
हे महावीर करो कल्याण
8. श्री हनुमान भजन लिरिक्स – मेरे मन बस गया है यो अंजनी का हनुमान
मेरे मन बस गया है यो अंजनी का हनुमान,
अंजनी माँ का राज दुलारा,
पवन पिता का पुत्र ये प्यारा म्हारा से भगवन,
मेरे मन बस गया है यो अंजनी का हनुमान।
लाल लंगोटा हाथ में सोटा,
लाल लंगोटा हाथ में सोटा मोटा से साहूकार,
मेरे मन बस गया है यो अंजनी का हनुमान।
मंगल का दिन शुभ का होसे,
मिल्या अमर वरदान मिल्या अमर वरदान,
मेरे मन बस गया है यो अंजनी का हनुमान।
9. श्री हनुमान भजन लिरिक्स – अंजनी का लाला ओ बजरंग बाला
श्री हनुमान भजन हिंदी – लखबीर सिंह लक्खा
अंजनी का लाला ओ बजरंग बाला
कोई ना तुमसा बलि
सुमिरन करे जो
ध्यान धरे जो
करता तू उसकी भली
है सालासर में
धाम तुम्हारा
भक्तो का प्यारा तू
राम दुलारा
शीश झुकाता संसार सारा
अंजनी का लाला
बज रहा जगत में
डंका तेरे नाम का
जानते सब तुझे
सेवक श्री राम का
भक्ति में शक्ति की
तुम ही तो पहचान हो
भक्तो में भक्त तुम
बांके हनुमान हो
विघ्न हरण हो
मंगल के दाता
सुमिर सुमिर
नर भव तर जाता
अंजनी का लाला
ओ बजरंग बाला
कोई ना तुमसा बली
सुमिरन करे जो
ध्यान धरे जो
करता तू उसकी भली
कपट से जब रावण
हर ले गया जानकी
फूंक दी सोने की लंका
बेईमान की
है लखन मूर्छित
और बन गई जान की
तुमने ही रक्षा की
तब राम की आन की
लाये संजीवन तुम हनुमाना
संकट मोचन सब जग जाना
अंजनी का लाला
ओ बजरँग बाला
कोई ना तुमसा बली
सुमिरन करे जो
ध्यान धरे जो
अंजनी का लाला
ओ बजरँग बाला ।
10. श्री हनुमान भजन लिरिक्स –  बजरंग बाला जय हो अंजनी के लाला रे
तर्ज – कौन दिशा में लेके चला रे
बजरंग बाला जय हो अंजनी के लाला रे
बजरंग बाला जय हो अंजनी के लाला रे
जपूँ नाम तिहारो, मोहें लागे अति प्यारो,
बाबा दर्शन दे ….
दर्शन दे, बजरंग बाला जय हो…..
ओ शंकर सुवन केसरी नन्दन
पवनपुत्र बलवान रे
पवनपुत्र बलवान रे
ओ राम लखन के काज सवांरे
अंजनीपुत्र महान रे
अंजनीपुत्र महान रे
तीन लोक में महीमा तेरी
तीन लोक में महीमा तेरी
गावे सब संसार रे
बजरंग बाला जय हो अंजनी के लाला रे।
शक्ति लगी जब लक्ष्मण को तब
विपदा में थे राम हो
विपदा में थे राम हो
लायें संजीवन लखनजी आये
रघुवर तब हरषाये हो
रघुवर तब हरषाये हो
रघुपति की तब तुम्हरी बडाई
रघुपति की तब तुम्हरी बडाई
मान्यों भरत सम भाई रे
बजरंगबाला जय हो अंजनी के लाला रे।
रावण मार राम घर आये
राजतिलक रघुवर को कराये
राजतिलक रघुवर को कराये
चीर के छाती भरी सभा में
सीयाराम की छवि दीखलावे
सीयाराम की छवि दीखलावे
सुर नर मुनिजन करत आरती
सुर नर मुनिजन करत आरती
कमलदीप जष गाये रे
बजरंगबाला जय हो अंजनी के लाला रे।
बजरंगबाला जय हो अंजनी के लाला रे
बजरंगबाला जय हो अंजनी के लाला रे
जपूँ नाम तिहारो, मोहें लागे अति प्यारो,
बाबा दर्शन दे ….
दर्शन दे,
बजरंगबाला जय हो अंजनी के लाला रे।
11. श्री हनुमान भजन लिरिक्स – राम पे जब जब विपदा आई विडियो
उनसे कहना राम राम वोह कहेंगे राम राम
कुछ भी सुनते नहीं बस सुनेगे राम राम
राम पे जब जब विपदा आई
राम पे जब जब विपदा आई कौन बना रखवाला
मेरा बजरंग बाला हो मेरा बजरंग बाला
मेरा बजरंग बाला हो मेरा बजरंग बाला
मात सिया को राम प्रभु से
मात सिया को राम प्रभु से कौन मिलाने वाला
मेरा बजरंग बाला हो मेरा बजरंग बाला
मेरा बजरंग बाला हो मेरा बजरंग बाला
जितने भी काम थे मुश्किल बजरंग के हिस्से आए
हनुमत के सिवा कोई भी सागर को लांघ न पाए
जितने भी काम थे मुश्किल बजरंग के हिस्से आए
हनुमत के सिवा कोई भी सागर को लांघ न पाए
रावण की सोने की लंका
रावण की सोने की लंका कौन जलाने वाला
मेरा बजरंग बाला हो मेरा बजरंग बाला
मेरा बजरंग बाला हो मेरा बजरंग बाला
शक्ति लागी लक्ष्मण को और मूर्छा भारी छाई
धरती पे देख लखन को तब रोने लगे रघुराई
शक्ति लागी लक्ष्मण को और मूर्छा भारी छाई
धरती पे देख लखन को तब रोने लगे रघुराई
संजीवन लाकर के लखन को
संजीवन लाकर के लखन को कौन जगाने वाला
मेरा बजरंग बाला हो मेरा बजरंग बाला
मेरा बजरंग बाला हो मेरा बजरंग बाला
विभीषण ताहना मारे बजरंगी सह ना पाए
भक्ति कहते है किसको यह सबको ज्ञान कराए
विभीषण ताहना मारे बजरंगी सह ना पाए
भक्ति कहते है किसको यह सबको ज्ञान कराए
भरी सभा में चीर के छाती
भरी सभा में चीर के छाती कौन दिखाने वाला
मेरा बजरंग बाला हो मेरा बजरंग बाला
मेरा बजरंग बाला हो मेरा बजरंग बाला
जो हनुमान न होते ना होती राम कहानी
घर घर में राम प्रभु की न महिमा जात बखानी
जो हनुमान न होते ना होती राम कहानी
घर घर में राम प्रभु की न महिमा जात बखानी
कहे पवन भक्ति का डंका
कहे पवन भक्ति का डंका कौन बजाने वाला
मेरा बजरंग बाला हो मेरा बजरंग बाला
मेरा बजरंग बाला हो मेरा बजरंग बाला
राम पे जब जब विपदा आई
राम पे जब जब विपदा आई कौन बना रखवाला
मेरा बजरंग बाला हो मेरा बजरंग बाला
मेरा बजरंग बाला हो मेरा बजरंग बाला
मात सिया को राम प्रभु से
मात सिया को राम प्रभु से कौन मिलाने वाला
मेरा बजरंग बाला हो मेरा बजरंग बाला
मेरा बजरंग बाला हो मेरा बजरंग बाला।।
12. श्री हनुमान भजन लिरिक्स – बजरंग बाला मां अंजनी का लाला
तर्ज – मिलो न तुम तो हम
लाल देह और लाल है चोला
मुखड़ा भोला भाला
ऐसे बजरंग बाला हो…
मां अंजनी का लाला।
शीश मुकुट है गदा हाथ में,
और गले में माला,
ऐसे बजरंग बाला….
मां अंजनी का लाला।
बजरंगबली के डर से
भूत प्रेत सब भाग जाते हैं,
इनकी कृपा हो जाये
सोये भाग फिर से जाग जाते है,
दूर करे सारा अँधियारा ,
लाये नया सवेरा
ऐसे बजरंग बाला..
करके छलावा रावन
ले गया था सीताजी को साथ रे
ला के खबरिया हनुमंत
बने रामजी के प्यारे दास रे
सोच समझ कर लंकापुरी को
तहस नहस कर डाला
ऐसे बजरंग बाला..
जब जब भी संकट में थे
परम कृपालु श्री रामजी
उसी राम नाम सहारे
हनुमान सवारे सारे काम जी
भक्त और भगवान का देखो
बंधन खूब निराला
ऐसे बजरंग बाला..
13. श्री हनुमान भजन लिरिक्स – खुश होंगे हनुमान, राम राम किए जा
सुबह शाम आठो याम,
यहीं नाम लिए जा,
खुश होंगे हनुमान,
राम राम किए जा।।
लिखा था राम नाम वो,
पत्थर भी तर गए
किए राम से जो बैर,
जीते जी वो मर गए
बस नाम का रसपान,
ए इंसान किए जा
खुश होगे हनुमान,
राम राम किए जा।।
राम नाम की धुन पे नाचे,
हो कर के मतवाला
बजरंगी सा इस दुनिया में,
कोई ना देखा भाला,
जो भी हनुमत के दर पे आता,
उसका संकट टाला,
मुख में राम, तन में राम,
जपे राम राम की माला।
जहाँ राम का कीर्तन,
वही हनुमान जति हो,
गोदी मे गणपति को लें,
शिव पार्वती हो,
सियाराम की कृपा से,
सौ साल जिए जा,
खुश होगे हनुमान,
राम राम किए जा।।
जिसपे दया श्री राम की,
बांका ना बाल हो,
उसका सहाई ‘लक्खा’,
अंजनी का लाल हो
‘राजपाल’ तू हर हाल में,
जयकार किए जा,
खुश होगे हनुमान,
राम राम किए जा।।
सुबह शाम आठो याम,
यहीं नाम लिए जा,
खुश होंगे हनुमान,
राम राम किए जा।।
14. श्री हनुमान भजन लिरिक्स – हम आज पवनसुत हनुमान की कथा सुनाते हैं
हम आज पवनसुत हनुमान की कथा सुनाते हैं
पावन कथा सुनाते हैं
वीरों के वीर उस महावीर की गाथा गाते हैं
हम कथा सुनाते हैं
जो रोम-रोम में सिया राम की छवि बासाते हैं
पावन कथा सुनाते हैं
वीरों के वीर उस महावीर की गाथा गाते हैं
हम कथा सुनाते हैं
हे ग्यानी गुण के निधान
जय महावीर हनुमान
हे ग्यानी गुण के निधान
जय महावीर हनुमान
पुंजिकस्थला नाम था जिसका स्वर्ग की थी सुंदरी
वानर राज को जर के जन्मी नाम हुआ अंजनी
कपि राज केसरी ने उससे ब्याह रचाया था
गिरी नामक संगपर क्या आनंद मंगल छाया था
राजा केसरी को अंजना का रूप लुभाया था
देख देख अंजनी को उनका मान हार्षया था
वैसे तो उनके जीवन में थी सब खुशहाली
परन्तु गोद अंजनी माता की संतान से थी खाली
अब सुनो हनुमंत कैसे पवन के पुत्र कहते हैं
पावन कथा सुनाते हैं
बजरंगबली उस महाबली की गाथा गाते है
हम कथा सुनाते हैं
हे ग्यानी गुण के निधान
जय महावीर हनुमान
हे ग्यानी गुण के निधान
जय महावीर हनुमान
पुत्र प्राप्ति कारण आंजना तप कीन्हा भारी
मतंग मुनि प्रसन्न हुए अंजना के हितकारी
बोले मुनि वक्टा चली जाओ हे देवी अंजना
वक्तेश्वर भगवान को जप और तप से प्रशन्न करना
अंजना ने आकाश गंग का पावन जल पिया
घोर तपस्या करके वायु देव को प्रसन्न किया
अंजनी मां को स्पर्श किया वायु का एक झोंका
पवन देव हो प्रकट उन्हें फिर पुत्र प्रदान किया
इस कारण बजरंग पवन के पुत्र कहाते हैं
बजरंगबली उस महाबली की गाथा गाते है
हम कथा सुनाते हैं
हे ग्यानी गुण के निधान
जय महावीर हनुमान
हे ग्यानी गुण के निधान
जय महावीर हनुमान
राजा केसरी और अंजना करते नित शिव पूजा
शिव भक्ति के बिना नहीं था काम उन्हें दूजा
हो प्रशन शिव प्रकट हुए तब अंजना वर मांगी
हे शिव शंकर पुत्र मेरा हो आपके जैसा ही
शिवजी बोले अंजना होगी पूर्ण तेरी इच्छा
मेरे अंश का 11वा रुद्र ही पुत्र तेरा होगा
जन्म लिया बजरंगी घट गए संकट के बादल
चैत्र शुक्ल की 15 की और दिन था शुभ मंगल
बजरंगी तब से शंकर के अवतार कहाते हैं
पावन कथा सुनाते हैं
बजरंगबली उस महाबली की गाथा गाते है
हम कथा सुनाते हैं
हे ग्यानी गुण के निधान
जय महावीर हनुमान
हे ग्यानी गुण के निधान
जय महावीर हनुमान
केसरी नंदन का है भक्तो प्यारा था बचपन
झूल रहे थे चंदन के पालने में सुख रंजन
कामकाज में लगी हुई थी तब अंजना रानी
सूरज को फल समझ उन्होंने खाने की ठाणी
उड़ने की शक्ति पवन देव ने उनको दे ही दी थी
उड़ने लगे सूरज का फल खाने वाले बजरंगी
वायु देव को चिंता हुई मेरा बच्चा जल ना जाए
सूर्य देव की किरणों से मेरा फूल झुलस ना जाए
बर्फ के जैसी वायु देव यूं हवा चलाते हैं
बजरंगबली उस महाबली की गाथा गाते है
हम कथा सुनाते हैं
हे ग्यानी गुण के निधान
जय महावीर हनुमान
हे ग्यानी गुण के निधान
जय महावीर हनुमान
सूर्य देव ने उनको आते देखा अपनी ओर
समझ गए वो पवन पुत्र है नहीं बालक कोई और
शीतल कर ली सूर्य देव ने अपनी गरम किरणें
पवन पुत्र गुरु रथ पर चढ़कर सूर्य लगे डसने
अमावस्या को राहु सूर्य डसने को जब आया
बजरंगी का खेल देखके बड़ा ही घबराया
इंद्रदेव को आकर सारा हाल था बतलाया
बोला एक बालक से मैं तो प्राण छुड़ा लाया
इंद्रदेव को साथ में लेकर राहु आते हैं
पावन कथा सुनाते है
बजरंगबली उस महाबली की गाथा गाते है
हम कथा सुनाते हैं
हे ग्यानी गुण के निधान
जय महावीर हनुमान
हे ग्यानी गुण के निधान
जय महावीर हनुमान
साथ साथ इंद्र को लेकर वापस राहु जब आया
बालाजी की मार से खुद को बचा नहीं पाया
मार मार कर राहु को जब कर डाला बेहाल
दौड़े ऐरावत को खाने माँ अंजनी के लाल
ऐरावत की रक्षा करने इंद्र बने फिर ढाल
बालाजी की शक्ति की जब देखे इंद्र कमाल
समझ खिलौना बाला ऐरावत को पकड़ लिए
इंद्र देवता को भी अपनी भुजा में जकड लिए
इंद्र देव क्या करते है आगे बतलाते है
बजरंगबली उस महाबली की गाथा गाते है
हम कथा सुनाते हैं
हे ग्यानी गुण के निधान
जय महावीर हनुमान
हे ग्यानी गुण के निधान
जय महावीर हनुमान
वार किया जब वज्र से इंद्र ने उनकी ठोड़ी पर
मूर्छित होकर पवन पुत्र गिर गए गिरी कंदरा पर
इंद्र देवता क्रोधित होकर गति रोक ली अपनी
तीनो लोक के प्राणी करने करने त्राहि त्राहि
सारे देवताओ को ना सूझी जब कोई भी आस
ब्रह्मा जी को लेकर पहुंचे पवन देव के पास
ब्रह्मा जी ने हाथ जब उनके अंगो पर फेरा
क्षण दूर हुई बाला बजरंगी की मूर्छा
वरदान उन्हें दे देके सारे देव मनाते है
पावन कथा सुनाते है
बजरंगबली उस महाबली की गाथा गाते है
हम कथा सुनाते हैं
हे ग्यानी गुण के निधान
जय महावीर हनुमान
हे ग्यानी गुण के निधान
जय महावीर हनुमान
ब्रह्म देव ने बजरंगी को यह वरदान दिया
ब्रह्म कभी नहीं लगेगा इसको ऐलान किया
बोले इंद्र तेरा शरीर होगा वज्र के जैसा कठोर
सूर्य देवता बोले देख के सेह से उनकी ओर
मेरे तेज से होगा बाला तू तो शतावधान
वरुण ने अपने पाश और जल से बचने का दिया वरदान
कहने लगे यमराज तू मेरे दंड से रहेगा दूर
और बोहोत से देवो ने वरदान दिए भरपूर
इस कारण बजरंग सब देवो के देव कहाते है
बजरंगबली उस महाबली की गाथा गाते है
हम कथा सुनाते हैं
हे ग्यानी गुण के निधान
जय महावीर हनुमान
हे ग्यानी गुण के निधान
जय महावीर हनुमान
ब्रह्म देवता बोले होगा तू ऐसा ज्ञानी
झुक जाएंगे तेरे आगे बड़े बड़े अभिमानी
तुझे युद्ध में कोई पराजित कर नहीं पायेगा
तू जैसा चाहेगा वैसा रूप बनाएगा
संकटहारी तू सबका ही होगा हितकारी
कहने लगे फिर इंद्र देव हे बजरंग बलधारी
तेरी हनु टूटी जो बालक लागा वज्र मेरा
इस कारण हनुमान रखा मैं आज से नाम तेरा
हनु टूटने के कारण हनुमान कहाते है
पावन कथा सुनाते है
बजरंगबली उस महाबली की गाथा गाते है
हम कथा सुनाते हैं
हे ग्यानी गुण के निधान
जय महावीर हनुमान
हे ग्यानी गुण के निधान
जय महावीर हनुमान
नटखट चंचल ऐसे थे बालापन में हनुमान
बजरंगी की चंचलता से ऋषि मुनि थे हैरान
ऋषियों ने सोचा बालक में नहीं अच्छा अभिमान
श्राप दिया इस कारण इसका हो जाये कल्याण
होकर बड़ा करना है इसे राम प्रभु का कार
ऋषिवर बाबा बजरंग का यूं करते थे सत्कार
ठीक समय पर इसे जो शक्ति याद दिलाएगा
हम ऋषियों के श्राप से छुटकारा मिल जाएगा
ऋषि मुनि साधू संत इनकी जयकार लगाते है
बजरंगबली उस महाबली की गाथा गाते है
हम कथा सुनाते हैं
हे ग्यानी गुण के निधान
जय महावीर हनुमान
हे ग्यानी गुण के निधान
जय महावीर हनुमान
मातृ शिक्षा से राम चरित्र का पूरा ज्ञान मिला
बजरंगी को सब देवो से ही वरदान मिला
अंजनी माँ आदर्श चरित्र की कथा सुनाया करती
भक्त का और भगवान का अंतर उन्हें बताया करती
एक दिन अंजनी माता बोली जाओ मेरे लाला
सूर्य देव से शिक्षा लो ये है आदेश मेरा
माँ इच्छा को रख आँखों पर धरकर शक्तिमान
सूर्य देव से शिक्षा लेने जा पहुंचे हनुमान
सूर्यदेव से शिक्षा लेने बजरंगी जाते है
पावन कथा सुनाते है
बजरंगबली उस महाबली की गाथा गाते है
हम कथा सुनाते हैं
हे ग्यानी गुण के निधान
जय महावीर हनुमान
हे ग्यानी गुण के निधान
जय महावीर हनुमान
राम रूप में धरती पर विष्णु अवतार लिए
अवधपुरी में धूम मची जग पे उपकार किये
शिवशंकर बनके मदारी पहुंचे राजद्वार
साथ में एक वानर था जिसकी सुंदरता अपार
नाच देखने राम सहित आ पहुंचे चारो भाई
नाच नाच बजरंग ने अपने प

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